फुटपाथ

फूटपाथ को बना बिछौना, ओढ़ लिया करते आकाश।
खाने को न दाना-पानी, तन ढकने को नही लिबास।।

कभी पसारे हाथ कभी फैलाये झोली।
दे दो बाबा एक रुपैया , बुढ़िया बोली।।
सुन बुढ़िया की बात , चले सब राह बटोही।
तनिक दया न आई, किसी ने जेब टटोली।।

वहीँ जरा आगे बैठा इक लंगड़ा बच्चा,
दिखा रहा करतब, एक पैर से खेले कंचा।
किसी ने दिया रुपैया, किसी ने मारी ताली।
भरा कटोरा बच्चे का, 
बुढ़िया की झोली अभी भी खाली।।

हाय रे दुनिया, तुझको तनिक दया न आई,
मज़बूरी को सिक्कों से, सब ने तोला भाई।।
 


तारीख: 18.06.2017                                                        समीर मृणाल






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