साथ में थी, पर साथ नहीं थी
इश्क़ में अब वो बात नहीं थी
चाँद भी था, सब तारे भी थे
नींद भी थी, बस रात नहीं थी
दिल का मौसम सुख रहा था
बादल थे, बरसात नहीं थी
उल्फ़त थी, बेचैनी थी बस
दिल की कोई ज़ात नहीं थी
खेल उसी का, चाल उसी की
मात मिली जो मात नही थी