कौन है, कहां से है, किसका साथी है,
ये न मुझे पता है और न ही उसे,
ये वो है जो सवेरा दिखता है और संध्या से मिलाता है,
ये वो है जो सूर्य का दूत है और चंद्रमा का साथी है।
कौन है वो जो रोज़ रात को समान ढोते मिलता है?
है कौन वो जो रोज़ सुबह खेतों में बीज बोते मिलता है?
नहीं पता किसी को कि वो रोज़ रात को कहां सोता है,
पर जब भी मिले तो खुशियों से भरा हुआ होता है।
कौन है वो जो बच्चों को स्वेच्छा से पढ़ाता है?
न पैसों की चिंता न ऐशों-आराम का लुत्फ़ उठाता है,
गरीबों की मदद कर चुप-चाप गायब हो जाता है,
पिछले कई वर्षों से यही होते आ रहा है।
लोग कहते हैं कि वो मूढ़, आवारा , पागल है,
तो कभी कहते हैं कि वो सरफिरा आगंतुक है,
किसी ने न नाम जाना और न ही उसकी रहस्यमयी दुनिया,
पर हम सबको इंसानियत सिखा गया वो बेनाम मसीहा।