करनी पड़ती है, मंजिलों की मुखालफत
किसी की अंगुली पकङ के आये, ये वो मुकाम नहीं
मौत की खूबसूरती, जीते जी महसूस करना
मेरे हुजूर, दिल का लगाना, इतना भी आसान नहीं
लबों पे हंसी, दिल में दर्द, लिए फिरते हैं
हैं बङे शातिर, ये आशिक कुछ कम बेईमान नहीं
मद्धम होती धडकनों की ताल पर जीना
अजी, हर किसी मयकश के मुकद्दर ये जाम नहीं
साथ गुजरे पलों की महक में, अश्कों का सफर
पलों में मुद्दतें जीना, क्या वक्त पर कोई अहसान नहीं
यादों के दरिया में तैरना और किनारों में डूब जाना
खूद को खूद बेचना, पर फिर भी नीलाम नहीं
किसी पर जान देकर शुरु होती है मोहब्बत
ये ईश्क जिंदा लोगों का काम नहीं