तुम बिन भला न लगता कुछ भी

मचल रहे जज़्बात करे क्या?
समझ न आए बात करे क्या?
तुम बिन भला न लगता कुछ भी,
इससे ज्यादा बात करे क्या?
लगता अपनी आंखों से तो,
बिछड़ गए दिन रात, करे क्या?
तुम बिन कैसी शरद पूर्णिमा,
गीतो की शुरुआत करे क्या?
सूखे के हालात बने तो,
बेमौसम बरसात करे क्या?
अधरो धरी न बजी बांसुरी,
साजों की सौगात करे क्या?
अपनों से ही हम हारे है,
गैरों की हम बात करे क्या?
बिना सांवरे बने बावरे,
लोग देख मुस्कान करे क्या?
यही अगर हालात रहे तो,,
होंगे ही विख्यात करे‌ क्या?


तारीख: 08.03.2024                                    रेखा पारंगी









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