शायद मेरी जिंदगी थोड़ी आसान होती
यदि मेरे बेलगाम विचारों पर जरा सी लगाम होती,
बेशक विचार तो मनुष्य की पहचान है
विचारों के बलबूते ही तो मनुष्य समस्त जीवों में प्रधान है
परन्तु
अति तो सैदैव ही घातक सिद्ध हुई हैं
और ये तो विचारों की अति है,
इनसे तो सैदैव बेचैनी ही मिली हैं,
विचारों की जंजाल में पड़ी मैं
अजीब हरकते करती हूं
वानरों की तरह
इस विचार से उस विचार पर
उछलती कूदती रहती हूं,
ये विचार तो मुझे भूलभुलैया जैसे प्रतीत होते है
ओर छोर का कुछ पता नही,
बस आचनक ही उत्पन्न हो जाते है
विचारों की प्रवृत्तियां भी विचित्र होती है
कुछ तो तुरंत आके चली जाती है
और कुछ, दिनों तक अपने चक्र में उलझाती हैं
विचार , भांति भांति के विचार
कुछ भूत के विचार तो कुछ भविष्य के विचार
इन भूत और भविष्य के विचारों में वर्तमान खोने के विचार
पलपल हरपल बदलते विचार
कभी मुस्कराहट लाने वाले तो कभी व्यग्र करने वाले विचार,
कभी वास्तविकता को खयाल तो कभी खयालों को जीवंत बना देने वाले विचार
मन को सदैव अधिकृत करने वाले विचार
इन विचारों की निरंकुश धारा में
मैं इस प्रकार बहती हूं की समझ नही आता
विचार मुझमें है या मैं विचारों में।।