वो महकते पल


चल आज फिर कोई दर्द भरा दिल ढूंढें,
बैठ छत की मुंडेर पर , फिर कुछ पुरानी यादें बाँटें ।
फिर नाम लेकर उसका आज, फिर बहाएं वो सूखे आँसू ,
फिर गिला कर किस्मत से, निहारे घंटों तारों से घिरे चाँद को ।

लेकर चुसकियाँ चाय की कुल्हड़ से फिर, गायें नगमे देर तक,
छानकर दिल की विरानिओं को, जुगाड़े कुछ महकते पल ।
कोस-कोस हर सितम और बेवफाई फिर, जब खाली हो जाए ये मन,
लिपटकर बचपन से, नींद की गोद में सो जाएँ फिर हम ।
 


तारीख: 30.06.2017                                    जय कुमार मिश्रा









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