वो एक फ़साना था

वो एक फ़साना था या हकीकत,
या एक ख़्वाब जिसका कोई अंजाम नही था,
कोई शिक़वा या दर्द नही था,
बस एक खूबसूरत तज़ुर्बा था,
जिसको महसूस करके रख दिया था।
ताहज्जुद में तेरी इबादत होती है,
सजदे में तुझे याद किया जाता है
और दुआओं में तेरा ज़िक्र होता है,
खुले आसमां में उन तारो से तेरा हाल पूछा जाता है,
और कसम से तुझ तक मेरी मंज़िल नही थी,
पर पता नही क्यों रास्ते कुछ खूबसूरत जरूर थे।

तू एक वजह था मेरी ख़ुशी की,
तू एक खूबसूरत लम्हा था जो मैं हमेशा से जीना चाहती थी,
वक़्त भी रुक जाए तेरे लिए,
तू ऐसा कहर है,
तू तो यूँही बदनाम है,
कोई हमसे आके पूछे
तारीफ करू क्या तेरी,
तू ख़ुद एक खुशनुमा है।

तू उन खुले आसमानो में एक परिंदा से लगता था,
तुझे यूँही आज़ाद और बेफ़िक्र देख ये आसमां अच्छा सा लगता था।
 
लोग कहते है,
"परिंदा तेरा हुआ तो लौट आएगा"
वो परिंदा ना मेरा था न कभी रहेगा,
उसकी उड़ान में ही मेरा सुकून है,
उसे पंख लहराते देख ही मेरा जुनून है।

कोई उम्मीद या आस नही,
बस एक ख़ूबसूरत तज़ुर्बा ही याद रहेगा हमेशा,
जिसमे तू था 
और वो एक एहसास,
जो दिल के करीब था,
और ख़ूबसूरत अफ़साने सा लगता था।

अपनी शायरियों में तेरी सूरत को ही नही,तेरे किरदार को भी नवाज़ा हैं
नही मालूम तू ऐसा है या नही
मगर तुझे यू बताना अच्छा लगता है
औऱ दाग तो चाँद पर भी है न
क्या लोग उसकी ख़ूबसूरती बायां करना छोड़ते है क्या?
तूने अपनी खामियां बताई
और हमने उसे तज़ुर्बा बताया

यूँ तो शायद इतनी हैसियत नही की ख़ैरियत पुछू
लेकिन मेरे अल्लाह के दरबार में मेरी दुआ का दर्ज़ा है जो तुझे ख़ुश रखे

ये मेरे ज़ज़्बात है,
और मेरी कलम जो तुझे यूँ लफ़्ज़ों में बयां करती है
तू शायद अल-वहाब का एक ख़ल्क़ है ,
जो बहुत ख़ास है
कोई गुंजाइश नही है
मगर तुझे यूँ बताना अच्छा लगता है |

माना तू अलग है
तेरी राहें , तेरी मंज़िल , तेरी कैफ़ियत
तेरा यूँ अपने बालों को सहलाना
तेरा यूँ दोस्तो के बीच झूम झूम के हँसना
तेरा यूँ ऐतबार में रेहना
तुझे आम से ख़ास बनाता है

तेरी ज़िन्दगी से मेरा कोई राब्ता नही
मगर ज़िक्र तेरा यूँही करते रहूं
दुनिया को तेरा यूँ बताना अच्छा लगता है
 


तारीख: 07.03.2024                                    नाज़ीया









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