यूँ खड़ा मैं

यूँ खड़ा मैं कुछ इस तरह से हूँ , 
कि मेरी नज़र हर  तरफ जाए, 
जो गुजरे मेरी नज़रों के सामने से, 
हर उस शक्स की तस्वीर मेरी आँखों में बस जाए, 
न दिन में अपनी आँखों को झपकु और न रातों मे इन्हें सोने दू, 
मेरी किस्मत ऐसी हैं कि खड़े पानी, खड़े खाना और बेवक्त गाड़ियों के होर्न से सकपका जाना, 
कोई सलाम को सुनता है तो अनसुना कर चला जाता हैं, 
कोई भईया , कोई अंकल  तो कोई नाम से बुलाता है, 
यूँ तन के खड़े हर गली के बाहर, हर कालोनी के बाहर और कुछ के घरों के बाहर, 
खुद के घर कोई ताला नही, कोई सुरक्षा नही, 
पर दुसरो के घर की सुरक्षा अपने से ज्यादा है, 
हम चोकीदार है जो आपके घर कि सुरक्षा के जिम्मेदार है, 
और आपके लिए हरपल सीना ताने खड़े तैयार है||
 


तारीख: 11.05.2024                                    प्रभा मिश्रा






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