जिंदगी

बडी़ उलझनों से भरी रहती है ये जिंदगी
हर वक़्त नये नये इम्तिहान  लेती जिंदगी.
सुख की चाहत में ना जाने कितने जख्म देती
हर खुशी की किमत फिर सूत समेत ये लेती.. 
बेदर्दी बनकर खूब तमाशा ये बना देती
हंसने के सपने को पल भर में भूला देती.. 
कर देती ऐसा सितम, सोचा ना जो जिसने कभी, 
घड़ी खुशी की देकर, टीस बनकर मन मे रह जाती कभी.. 
 कुछ अनकहा सा दर्द, दिल को तोड़ देता है 
ना चाहते हुए भी, जख्मों खो छिपाना पड़ता है.. 
बड़ी जालिम है ये जिंदगी, दिल को तार तार कर देती हैं
मुसीबतों में अपनों की पहचान  जिंदगी करा देती है .. 
अंधेरी रातों को घने अंधकार में बदल देती है
रोशनी के इंतजार में रात भर आंखों में रहती है.. 
बडी़ उलझनों से भरी रहती है ये जिंदगी..... 


तारीख: 15.03.2024                                    रेखा पारंगी




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