मैं उस देश का बाशिंदा हूँ,जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था,
जिस के स्वर्ण- पंखों को गोरी,गजनी और तैमुर ने कई बार लूटा ,और
रही सही कसर अंग्रेजों ने पूरी कर दी । मैं उस देश का बाशिंदा हूँ, जिस
के सुनहरे पंखों के कतरे जाने के बाद भी , आज भ्रष्ट और बेईमान काले
अंग्रेज बार-बार नोंच-नोंच कर खा रहे हैं।
मैं उस देश का बाशिंदा हूँ, जिन लोगों के लिए महात्मा गाँधी ने,राम-राज्य
का सपना देखा था, वही लोग राम क नाम पर राज्यों में क़त्ल -ए-आम
पर आमादा हैं । मैं उस देश का बाशिंदा हूँ जिस के संविधान की नींव
धर्मनिरपेक्षता के पत्थर से रखी गयी थी, पर आज उसी संविधान के रक्षक
धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करने से बाज नहीं आते ।
मैं उस देश का बाशिंदा हूँ,जिसकी इमारत के आदर्शवादी स्तम्भों को २ जी,
कॉमनवेल्थ और ना जाने कितने भ्रष्टाचार-रूपी दीमक खोखला कर चुके हैं।
मैं उस देश का बाशिंदा हूँ , जिन पर प्राण न्यौछावर करने वाले सैनिकों की
कब्रों पर ताबूत और बोफोर्स घोटाले की रोटियाँ सेंकी जाती हैं ।
'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते ,रमन्ते तत्र देवताः' के देश की राजधानी में, सरे-राह
किसी नारी के जिस्म को तार-तार किये जाने पर भी मूक-बधिर लोगों को
कुछ फर्क नहीं पड़ता।
मैं भारत का बाशिंदा हूँ, और आज कहने में शर्मिंदा हूँ कि मैं इस भारत
का बाशिंदा हूँ ।