प्लीज़! थोड़ा समय भी दीजिये अपने बच्चे को

आपका थोड़ा सा समय आपके बच्चे के भविष्य को बना सकता है, व थोड़ी सी लापरवाही आपके बच्चे के भविष्य को बिगाड़ भी सकती है। आप कभी भी नही चाहेंगे कि आपके बच्चे का भविष्य चैपट हो। आप ही क्या, कोई माता-पिता नही चाहते कि उनके बच्चे का भविष्य चैपट हो जाय और वह असफल माता-पिता कहलाये जायें। किन्तु जाने अनजाने में अनेक माता-पिता ऐसा कर रहे हैं। इस भौतिकतावादी व दौड़ भाग भरी जिन्दिगी में अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों को समय नही दे पा रहे हैं। उन्हें अपनी गलती का एहसास तब होता है जब बच्चा बिगड़ जाता है और बच्चा उनके हाथ से निकल जाता है।

 

आज अनेक वरिष्ठ अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी मिलने पर मुझसे बच्चों का रोना रोते हैं लेकिन अब क्या हो सकता है। ‘‘अब पछतावै होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत’’ तो कहीं आप अपने बच्चों के साथ ऐसा ही व्यवहार तो नही कर रहे हैं? अगर कर रहे हैं तो मेरी विनती मान लीजिये प्लीज़। अपने बच्चों को थोड़ा सा समय देना शुरु कर दीजिये। आपके बच्चों को आपका अधिक समय नही चाहिए और न ही उनकी यह इच्छा है कि आप उनका होमवर्क करायें, होमवर्क तो बच्चे खुद अपने आप ही कर लेते हैं। इसमें आपकी मदद की आवश्यकता नही है किन्तु बच्चें आपसे यह आशा अवश्य करते हैं कि जब आप घर आयें तो बच्चे को देख कर चहक उठें आपके मुँह से अनायास ही निकले अरे बेटे!

आजकल तुम बड़ी मेहनत कर रहे हो, मेहनत करना अच्छी बात है मेरे बेटे! किन्तु स्वास्थ का भी ध्यान रखो। मैने देखा है आजकल तुम रात को देर तक पढ़ते हो मेरे बेटे। सच मानिये आपके इतने से शब्द ही आपके बच्चे को वह ताकत प्रदान कर देंगे जो कोई भी सुख साधन प्रदान नही कर सकते हैं आपके इस प्रेरणा भरे व्यवहार से आपका बच्चा सचमुच रात देर तक पढ़ने लगेगा। आपका बच्चा आपके इस व्यवहार से इतना बदल जायेगा जिसकी आपने कभी कल्पना भी नही की होगी। बस आपका थोड़ा सा समय बच्चे के जीवन को बदल सकता है।
आप बच्चों को समय देने में कंजूसी क्यों करते हैं? बच्चों को समय दीजिये प्यार से उनके बालों में हाथ फेरिये, शाबाशी दीजिये, पुचकारिये और बातों ही बातों में विद्यालय की हल्की सी जानकारी भी ले लेजिये कि आज का दिन विद्यालय में कैसा रहा? आपका इतना समय ही काफी हैं आपके लाडले के लिए । इतने से समय से ही आपका बच्चा आसमान से तारे तोड़कर ला सकता है, असम्भव को सम्भव कर सकता है, आपके नाम को पूरे संसार में रोशन कर सकता हैं, आपको वह सफल माता-पिता बनने का प्रमाण पत्र दिला सकता है तो क्या आप नही चाहेंगे कि आपको यह गौरव मिले व आपको सफल माता-पिता की उपाधि से नवाज़ा जाय?

उत्तर है अवश्य चाहेंगे आप जिस पद पर आज आसीन हैं वह पद ‘‘सफल माता-पिता’’ के पद से काफी छोटा है भले ही आप  डाक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक अधिकारी, व्यवसायी, पुलिस अधिकारी व वरिष्ठ अधिकारी, नेता, अभिनेता ही क्यों न हों सब पद छोटे हैं, सब पद बौने हैं, ‘‘सफल माता-पिता’’ के पद के सामने व उस पद के गौरव के सामने, फिर देरी किस बात की। अपने बच्चों को थोड़ा सा समय देना शुरु कर दीजिये और पहुँच जाइये ‘‘सफल माता-पिता’’ के सर्वोच्च पद पर। जब आपने अपने बच्चों के लालन-पालन में कोई कमीं नहीं छोड़ी हैं, आपने बच्चों को अच्छे विद्यालय में प्रवेश दिलाया हैं, उन्हें आधुनिक सभी सुविधायें मुहैया कराई हैं, अच्छे से अच्छा कपड़ा, अच्छा बिस्तर, अच्छा कमरा, अच्छा खान-पान, आने जाने की अच्छी सुविधायें मुहैया कराई हैं तो फिर समय देने में कंजूसी क्यों? कुछ अभिभावक यह कहते देखे गये हैं कि जो आज हम जो दिन रात परिश्रम कर रहे हैं क्या अपने लिए कर रहे हैं?

यह तो औलाद के लिए ही कर रहे हैं। फिर और क्या चाहिये औलाद को? ऐसे अभिभावकों के लिए उत्तर हैं- आपका थोड़ा सा समय चाहिए आपकी औलाद को। बस थोड़ा सा समय देकर उनको आप योग्य बना सकते हैं। शेष कार्य आप बच्चों पर और ईश्वर पर छोड़ दीजिये। क्या करेंगे आप दिन रात परिश्रम करके और क्या करंेगे आप धन अर्जित करके आपका असली धन तो ‘‘औलाद’’ है। किसी विद्वान ने कहा है कि ‘‘पूत कपूत तो क्या धन संचय, पूत सपूत तो क्या धन संचय’’ अर्थात अगर सन्तान का सही दिशा में भविष्य निर्माण नही हुआ तो आपकी अथाह सम्पत्ति को भी बर्बाद कर देगी। दूसरी ओर आपने अपनी सन्तान को समय देकर प्यार-दुलार देकर उसका सही दिशा मंे भविष्य निर्माण कर दिया तो उसको आपकी अथाह सम्पत्ति की कोई आवश्यकता नही है वह सम्पूर्ण संसार में आपका नाम रोशन कर देगा। अब आपको तय करना है कि आपने अपनी सन्तान को सही दिशा देनी है या फिर राह में भटकने देना है। थोड़ा सा समय दे दिया तो वह समाज के लिए आदर्श बन जायेगा व समाज को नई दिशा देगा। अतः आप अपने बच्चे को थोड़ा सा समय देकर महान इन्सान बनाइये ताकि वह आपके नाम को रोशन कर सकें और आप पहुँच जायें सफल माता-पिता के ‘‘सर्वोच्च पद’’ पर, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं।

 


तारीख: 17.03.2018                                    पंडित हरि ओम शर्मा हरि 









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