अंशुमालिका

"पापा ने कहा है कि अगर मैं उनकी पसंद के लड़के से शादी नहीं करूँगी तो वे अपनी जान दे देंगे। मैं अपने पापा के मौत की वज़ह नहीं बनना चाहती। मुझे माफ़ कर देना विक्रम। मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाऊँँगी और तुम्हारे सिवा किसी और को कभी प्यार भी नहीं कर पाऊँँगी।" अंशुमालिका ने रोते हुए विक्रम से कहा। 

"मैं तो तुम्हें माफ़ कर दूँँगा, लेकिन मेरा दिल मुझे कभी माफ़ नहीं करेगा। यह हर पल तुम्हारी याद में तड़पेगा और मुझे रुलाएगा" इतना कहकर विक्रम अंशुमालिका से लिपट कर रोने लगा। 

अगले दिन अंशुमालिका की शादी गुरमीत के साथ हो गई और वह अपने ससुराल आ गई। दो दिन बाद गुरमीत अंशुमालिका को अपने साथ लेकर शहर आ गया, जहाँँ वह किराए के कमरे में रहता था। गुरमीत दिखता तो बहुत ही मासूम और भोला-भाला था, लेकिन वह अव्वल दर्जे का कमीना और धोखेबाज़ इंसान था। पैसों के लिए वह किसी भी हद तक गिर जाता था। शादी के बाद गुरमीत ने ग़ैरक़ानूनी तरीकों से कुछ ही महीनों में लाखों रुपए इकट्ठा कर लिये। अंशुमालिका को खुश करने के लिए वह अपने सारे पैसे उसे ही रखने देता था। 

कुछ दिनों के बाद अंशुमालिका ने अपने पुराने प्रेमी विक्रम को फोन किया और कहने लगी - "विक्रम मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकती। मुझे इस जल्लाद के क़ैदखाने से बाहर निकालो। इसने मेरी ज़िंदगी को जहन्नुम बना कर रख दिया है। जब तक यह ज़िंदा रहेगा, मैं तुम्हारी नहीं हो सकती।" 

अगले ही दिन विक्रम वहाँँ पहुँँच गया जहाँँ गुरमीत रहता था। जैसे ही गुरमीत घर से बाहर निकला विक्रम ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। गोली मारने के बाद विक्रम ने वहाँँ से भागने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने उसे खदेड़ कर पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया। इधर तब तक अंशुमालिका ने गुरमीत के सारे पैसे अपने नए प्रेमी को दे दिए। 
गुरमीत की हत्या की ख़बर सुनकर गुरमीत के घर वाले शहर आ गए और अगले दिन अंशुमालिका को अपने साथ लेकर गाँँव चले गए। अंशुमालिका ने गुरमीत के घरवालों के सामने अपने पति की मौत के मातम का बेहतरीन अभिनय किया। 

अंशुमालिका के नए प्रेमी का नाम देवराज था। गुरमीत और देवराज एक ही मकान में किराएदार के तौर पर रहते थे। देवराज पेशे से एक फिटनेस ट्रेनर था। उसका व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक था। गुरमीत दौलत का भूखा था जबकि अंशुमालिका प्रेम की प्यासी थी। गुरमीत अपनी भूख मिटाने अधिकांश समय घर से बाहर रहने लगा था और अंशुमालिका अपनी प्यास बुझाने देवराज के कमरे में। 
धीरे-धीरे अंशुमालिका को देवराज की लत लग गई। वह अपनी सारी ज़िंदगी देवराज की बाहों में बिताना चाहती थी और इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार थी। इसलिए उसने देवराज के कहने पर अपने पति की हत्या भी करवा दी। 

गुरमीत की मौत को जब एक महीने हो गए तो अंशुमालिका ने देवराज को फोन किया, लेकिन उसका फोन नहीं लगा। लगातार कई दिनों तक कोशिश करने के बाद भी जब देवराज से फोन पर बात नहीं हो पाई तो अंशुमालिका उससे मिलने शहर आ गई। वहाँँ जिस मकान में गुरमीत और देवराज किराएदार के तौर पर रहते थे उस मकान के मालिक ने अंशुमालिका को बताया कि देवराज एक महीने पहले ही इस शहर को छोड़कर जा चुका है। 

उधर विक्रम ने अदालत में गुरमीत की हत्या करने का कारण पुरानी रंजिश बताया और अंशुमालिका को सज़ा होने से बचा लिया। अदालत ने विक्रम को गुरमीत की हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सज़ा दी। 

अंशुमालिका देवराज को अलग-अलग शहरों में ढूँँढ़ती रही और धीरे-धीरे पागल हो गई। 


तारीख: 10.02.2024                                    आलोक कौशिक









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