जग्गा: सपनो की दुनिया का प्यारा जासूस

Jagga Jasoos film review रेटिंग : 3.75

 कलाकार: रणबीर कपूर, कटरीना कैफ, सौरभ शुक्ला, शाश्वत चटर्जी

 निर्देशक अनुराग बासु

 मूवी टाइप: म्यूजिकल एडवेंचर 

 अवधि: 2 घंटा 42 मिनट

 

 अगर आप रणबीर के फैन  हो  तो आपको बता दूं की ये सब रिव्यु वगैरह  के मोह माया में पड़े बिना सीधे फिल्म देखने जाओ. कमाल का काम  किया है  कपूर साहब के लौंडे ने. और बाकि जनता आप टिके रहो भाई  वर्ना इतना  मेहनत करके लिखा रिव्यु कौन पढ़ेगा .


 

कहानी:बौलीवुड इंडस्ट्री की कमर्शिअल फ़िल्में एक ढर्रे पे चलने की आदि है , ऐसे में जब एक फिल्म आये जो गानों और कहानी को मिला के एक खूबसूरत एक्सपेरिमेंट करे तो देखना बनता है. इस फिल्म का स्क्रीनप्ले एक कोमिक्क्स बुक के चैप्टर्स के जैसा रखा गया है. कहानी शुरू होती है एक क्लासरूम से जिसमे क्लास टीचर श्रुति (कटरीना) बच्चों को कॉमिक्स बुक से कहानी सुना रही हैं और किताब के हर चैप्टर के जरिये कहानी आगे बढती है  और ले चलती है हमें जग्गा की रोमांचक दुनिया में.


चैप्टर १: कहानी का पहला चैप्टर शुरू होता है खूबसूरत शहर दार्जीलिंग से जहाँ एक स्कूल हॉस्टल में हमारा नन्हा जग्गा जासूस (रणबीर कपूर) अपने शातिर दिमाग से अपने यार दोस्तों को चौंका देता है. आप छोटे जग्गा की जिंदगी ,उसके सपने और अकेलेपन से वाकिफ होंगे. अकेलापन क्यों? वो यूँ की जग्गा बोर्डिंग स्कूल में है और उसके पिता टूटी फ्रूटी (शाश्वत चटर्जी ) उससे मिलने कभी नहीं आते , बदले  में उसे हर साल एक विडियो कैसेट भेजते हैं जिसमे उसे जिंदगी के नुस्खे सिखाते हैं.


बहरहाल अपने पापा की सेल्फ हेल्प गाइड और यार दोस्तों के साथ मस्ती करते हुए हमारा जग्गा 18 साल का हो जाता है और शर्लाक और फेलुदा जैसे दिग्गज जासूसों के गरु ज्ञान से अपने आस पास जासूसी दिमाग से फेमस होने लगता है . पर जब उसके 18वे दिन पे उसके पिता का विडियो कैसेट नहीं आता तो जग्गा बहुत परेशां हो जाता है . उसी दौरान उसकी  मुलाकात होती है एक रिपोर्टर श्रुति(कटरीना) से और उसके साथ वो निकल पड़ता है अपने पिता को खोजने के एक एडवेंचर से भरे सफ़र पे जो उसे कई देश शहर लेके जाती है.

Jagga Jasoos


रिव्यु: बर्फी के बाद अनुराग बासु ने बड़ा लम्बा वेट कराया इस फ़िल्म के लिए ,वैसे तो फिल्म 2014 से ही बननी शुरू हो गयी थी, मगर बहुत डिले के बाद अब जा के हमे देखने को मिली. पर भैया देर आये मगर छप्पर फाड़ के दुरुस्त आये. बासु ने एक सपनो की दुनिया रची है जिसका हर फ्रेम ,हर किरदार, हर सीन आपको मोह लेगा. फिर चाहे वो जग्गा की स्पेशल डिजाईन वाली बाइक  हो, भागते ओस्ट्रीच हों, या फिर लुभावने फ़ौरन लोकेशन. अनुराग बासु ने हर फ्रेम पर जबरदस्त काम किया है , जिसमे उनका साथ दिया है सिनेमाटोग्राफर रवि शर्मन ने जिनके काम की तहे दिल से तारीफ़ करनी होगी. कहानी का स्टाइल म्यूजिकल है जिसमे डायलाग गानों के फॉर्मेट में हैं, शुरू में कई बार समझ नहीं आता की गाना चल रहा है या कहानी.पर एक बार आप इसके आदि हो जाएँ तो आप दिलो दिमाग से घुस जायेंगे जग्गा का केस सुलझाने में. 


अपने पिता की खोज में लगे जग्गा के साथ आप और हम एक्शन से भरपूर एक बेहतरीन एडवेंचर पर निकल पड़ते हैं जिसमे धीरे धीरे कहानी का स्केल बड़ा होता जाता है और सेकंड हाफ में फिल्म एक जासूसी एडवेंचर से अपना रुख एक सामाजिक मुद्दे पर प्रकाश डालने पर भी लग जाती है , बस यहीं पर फिल्म थोड़ी बोझिल हो जाती है और तब हमें याद आता है की फ़िल्म 162 मिनट से दो बिलांग छोटी हो सकती थी अगर अनुराग मास्टर जी चाहते तो .


पर बर्फी पर भिनभिनाती मक्खियों की तरह ये थोड़ी बहुत खामियाँ हटा दीजिये तो फिल्म अनुराग बासु की मैग्नम ओपस है, जिसमे उनके कमाल के निर्देशन और फ़िल्मी सोच का नजारा मिलता है. फिल्म के  संगीत पर प्रीतम ने बहुत बढ़िया काम किया है और अमिताभ भटाचार्य के लिरिक्स गानों को शानदार बना देते हैं जो फिल्म का बहुत बड़ा प्लस पॉइंट है .

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अभिनय :  अगर दो शब्दों में अभिनय के बारे में बात करनी हो तो हम कहेंगे “रणबीर कपूर”. पूरी फिल्म इनके कंधे पे है, और रणबीर बड़ी इमानदारी से हर सीन में बिना एक इमोशन गंवाए आपको एंटरटेन करते हैं . चाहे अपनी कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को हँसाना हो या अपने इमोशन से आपको रुलाना हो, रणबीर कहीं नहीं चूकते. युवा पीढ़ी के अभिनेताओं में रणबीर इसी वजह से रॉक स्टार हैं. बात करें कटरीना की तो वो हलकी फुलकी हैं फिल्म में, जिनकी एक्टिंग के बारे में ज्यादा कुछ नहीं है कहने को. वो जग्गा की साइड किक हैं जो हर जगह प्रेजेंट हैं बस. फिल्म में जग्गा के पिता के रोल में हैं शाश्वत चटर्जी , ये वही हैं जो फिल्म कहानी में सीरियल किलर के रोल में सबके दिलो दिमाग पर छा गए थे. इस फिल्म में आप उनके भावपूर्ण अवतार को देख कर दंग रह जायेंगे और उनका ये रोल भी आपको कई सालों तक याद रहेगा.फिल्म में सौरव शुक्ला भी हैं एक पुलिस वाले के रोल में जो हमेशा की तरह अपने अभिनय से अपने प्रेसेंस को भुलाने नहीं देते.

फाइनल कट: अगर आप रणबीर या अनुराग बासु के फैन  हैं तो किसी के भी नेगेटिव रिव्यु को सुन के उल्लू का पट्ठा  मत बनिए और अभी निकलिए ओसट्रिच पर बैठ कर जग्गा के पिता को खोजने.
 


तारीख: 15.07.2017                                    फ़िल्मी चुम्बक






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