किसी संगदिल की मैं चाह, नहीं करता फना हो ने की मैं परवाह, नहीं करता । तुम्हारी शायरी में कोई दम है,तो ठिक झूठमूठ मैं कभी वाह! वाह! नहीं करता ।
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