छोड़ उनको न जाने किधर मैं गया
दूर तक था न कोई जिधर मैं गया।
अपने हाथों से उसने जो मुझको छुआ
देख तुझसे ज़्यादा निखर मैं गया।
सोचकर बस यही अब मिलेगा खुदा
हर गली और बस्ती नगर मैं गया।
देखकर मेरे हालात देगी वो रो
मिलने वापस अगर माँ से घर मैं गया।
शेर दो चार 'अम्बर' सही क्या कहे
सबकी नज़रों में देखो अख़र मैं गया।