छोड़ उनको न जाने किधर मैं गया

छोड़ उनको न जाने किधर मैं गया
दूर तक था न कोई जिधर मैं गया।

अपने हाथों से उसने जो मुझको छुआ
देख तुझसे ज़्यादा निखर मैं गया।

सोचकर बस यही अब मिलेगा खुदा
हर गली और बस्ती नगर मैं गया।

देखकर  मेरे  हालात  देगी  वो  रो
मिलने वापस अगर माँ से घर मैं गया।

शेर दो चार 'अम्बर' सही क्या कहे
सबकी नज़रों में देखो अख़र मैं गया।


तारीख: 20.10.2017                                    अभिषेक कुमार अम्बर




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है