दोस्ती की ग़ज़ल

क्यों मिलते हो आजकल जरा कम से।
खोये-खोये से रहते हो कहाँ गुमसुम से।।1।।

माना कम बोलना मिज़ाज है हमारा।
पर तुम तो बातें हज़ार करते थे हम से।।2।।

ये फूल सी दोस्ती यूँ ही मुरझा न जाए।
तुम इनकी शोखियाँ न चुराओ शबनम से।।3।।

फाँस गर दिल में हो कोई तो शिकवा करो।
रिश्तों को ऐसे तोड़ा नहीं करते एकदम से।।4।।

मैत्री एक बार जो टूटी तो फिर नहीं जुड़ेगी।
ये कोई रस्सी नहीं ये तो धागे हैं रेशम से।।5।।

प्यार के खातिर दोस्ती का दम तोड़ते हो।
पर यार भी कम नहीं होते किसी सनम से।।6।।

दोस्ती तो दो दिलों का पवित्र बन्धन है।
इसका ताल्लुक नहीं जन्म-ओ-जनम से।।7।।

हम याद जब भी बीते दिनों को करते हैं।
तस्वीर धुँधला जाती हैं आँखों के नम से।।8।।

बिन बताये दूर जाकर जो इतना सताया है।
ए यारा! अब हम गिला करते हैं तुम से।।9।।

कभी याद आये तो मिलने जरूर आना।
मेरे दोस्त तुम बेहद अज़ीज़ हो कसम से।।10।।
 


तारीख: 18.02.2024                                    सोनल ओमर









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