देख कर इक झलक ही नशा हो गया,
मिला तुमसे खुद से ही जुदा हो गया.
तेरे सिवा कहीं भी दिल नही लगता,
सब कहते हैं मै अब दीवाना हो गया.
बहुत रंजिशे उड रहीं थीं हवाओं में,
तुम आये कि मौसम आशिकाना हो गया.
निगरानी तो थी बहुत उसके परों पे,
कैद पिंजरे से परिंदा अब रिहा हो गया.
गजलें तुम अब पर लिखते - लिखते,
अंदाज मेरा देखो शायराना हो गया.
रहमत खुदा की मुझपर हुई बहुत,
जो सोचा न था वो हमारा हो गया.
बहुत दिनों से भूखा प्यासा तडफ रहा था,
उन्हें देख लिया जो सालों का खाना हो गया.
पाकीजगी की इंतहा हो तुम तुम्हें देखकर,
मेरा इश्क तेरे लिए सूफियाना हो गया.