देखो दिवस मख़मूर हैं

देखो दिवस मख़मूर हैं।
जैसे गमों से चूर हैं।।

जिसका कठिन मिलना लगे-
खट्टे बहुत अंगूर हैं।

संघर्ष जिनने है किया -
परिवार के वे नूर हैं।

मैं कुछ नहीं समझा जिसे-
वो वाकई मशहूर हैं।

क्या खाक हम आशा करें-
खुद ही बहुत मजबूर हैं।


तारीख: 03.02.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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