इस माजरे का शिकार,सवाल हैं

यहाँ अब जीना भी मुहाल है
ये सियासत की सब चाल है

जो जवाब मालूम हो,वही पूछो
इस माजरे का शिकार,सवाल हैं

मिट्टी है सोना,सोना है मिट्टी
न जाने ये कैसा गोलमाल है

आप गलत देखें भी,बोलें भी
किस बंदे में इतनी मज़ाल है

इंक़लाब लेके आएँगें मजलूम
अच्छा तो है पर झूठा ख्याल है


तारीख: 22.07.2019                                    सलिल सरोज









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