अदीबों की बात मैं नहीं करता

साहित्य,शाईरी, या सुखनवरी कमाने नहीं देतीं
शेर,गज़लें,कविताएं किसी को दाने नहीं देतीं ।
भुखमरी के शिकार हुए कई बड़े साहित्यकार
तालियाँ और तारीफ़ परिवार चलाने नहीं देतीं ।
तो भला क्यों मैं करुँ इतनी मेहनत खामखा
जब छंद और अरूज़ मुझे कुछ खाने नहीं देतीं ।
हाँ चंद चाटुकार अदीबों की बात मैं नहीं करता
उनकीं हसरतें उन्हें हक़ीक़त बताने नहीं देतीं ।
फिल्मी गीतकारों की बात ही कुछ और है यारों
मगर वहाँ भी इमानदारी पैर जमाने नहीं देतीं ।
क्या तुम अजय फ़ालतू की बातें लेकर बैठे हो
कौन सी जिम्मेदारी है,ज़िंदगी निभाने नहीं देतीं ।
 


तारीख: 02.03.2024                                    अजय प्रसाद









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