किस गधे ने कहा कि सिकंदर महान था
अरे वो तो अपनी औकात से अंजान था ।
इल्म ही कहाँ थी उसे अपनी हैसियत की
वो तो अपनी हश्र-ए-हस्ती से अज्ञान था ।
जीतना चाहता जिस दुनिया को ज़ुल्म से
क्या 'दुनिया है सराए फ़ानी'से नादान था ।
गर उसने गौर किया होता अपने पूर्वजों पे
समझता वो भी चार दिनों का मेहमान था।
क्यूँ छोड़ दिया दामन उसने इंसानियत का
इतिहासकार कहतें हैं ,बेहद बुद्धिमान था ।
तुम क्यूँ अजय लगे गड़े मुर्दे उखाड़ने आज
भूल गया होगा कि वो भी एक इन्सान था