बहारों की रात लेकर आ गया हूँ

Gazal shayari by musafir

बहारों की रात लेकर आ गया हूँ
ख़ुशी की सौगात लेकर आ गया हूँ

हम तो फकीर हैं, दुआ माँगते हैं
यही ख़्यालात लेकर आ गया हूँ

जहाँ लोग भूल गए हैं देखना  ख़्वाब 
मैं नए ख्वाबों की बात लेकर आ गया हूँ

बेजान दिलों में उम्मीद की लौ जलाकर
नयी सुबह की सौग़ात  लेकर आ गया हूँ

मेरी आँखों में देख, मेरे सफ़र का हासिल
जिंदगी के सच्चे जज़्बात  लेकर आ गया हूँ

सब ने यहाँ ज़हर उगला, मैं अमृत लाया
दिलों को जोड़ने की बात लेकर आ गया हूँ


तारीख: 07.02.2024                                    मुसाफ़िर









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