हदें हमने देखो बनाई हुई है

हदें हमने देखो बनाई हुई है
मुहोब्बत भी दिल मे छिपाई हुई है।

ना तौफे ही लाए ना मिलने ही आए
मेरी आज उनसे लडा़ई हुई है।

किया फोन उसको ना उसने उठाया
सुना आज उसकी सगाई हुई है।

सरेआम हमसे हुई जो खता है
नहीं कुछ मगर जग हँसाई हुई है।

सवालात दिल मे ये क्यूँ उठ रहे है
उदासी ये हमपे क्यूँ छाई हुई है।

हमारी कहानी हैं कुछ एक जैसी
मेरे साथ भी बेवफाई हुई है।

ख्यालात दिल में उमड़ से रहे है
कलम आज हमने उठाई हुई है।

ये बादल भी देखो घुमड़ यूँ रहे है
कि बरखा दोबारा से आई हुई है।
                    
जो डोली मे बैठी है घूंघट को ओड़े
मेरी आज उससे जुदाई हुई है।

नही लफ्ज़ मिलते कहूँ भी तो क्या मै
ये चुप्पी ही दिल मे समाई हुई है।
 


तारीख: 29.09.2019                                    कीर्ति गुप्ता









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