फलक पर

नखत होंगे फलक पर।
फिदा हैं इक झलक पर।।

यहाँ   है   रात   ऐसी,
सुधाधर है अलक पर।

अगर  मैं  सब दिला दूं,
तुम्हारी इक ललक पर।

जहाँ     कैसा     लगेगा,
कि आत्मा हो हलक पर।

गगन    थामे   हुए   हैं,
नयन की दो पलक पर।
 


तारीख: 05.03.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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