देख  के  तुम  मुस्कुराओ  तो  सही

2122 21222 212

बह्र- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

Shayari gazal sahitya manjari akib javed

देख  के  तुम  मुस्कुराओ  तो  सही

दिल में चाहत तुम जगाओ तो सही

 

दर  हक़ीक़त  हिज़्र  की यूँ रात में 

वस्ल  का  वादा निभाओ तो सही

 

हो ज़ुलम की जितनी इंतेहा यहाँ

दास्ताँ  अपनी  सुनाओ  तो सही

 

मुद्दतों  से  नींद  आती  अब  नही

सपने में तुम अब बुलाओ तो सही

 

दर्द  भी  मेरा  मुझे मंज़ूर है अब

ज़ाम नज़रों से पिलाओ तो सही

 

अब्र  में  यूँ  टिमटिमाता तारा हूँ

सब्र को तुमआज़माओ तो सही

 

छल कपट दिल से निकालो यारों अब

दोस्ती दिल से निभाओ तो सही


तारीख: 04.01.2024                                    आकिब जावेद









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है