सूरत कैसी सीरत कैसी

Nazm sahitya manjari

22  22  22  22

सूरत   कैसी   सीरत   कैसी
दिल  में  है ये  फ़ितरत कैसी


वो देता पेड़ो  में फल भी
सोया क्यूँ है  ग़फ़लत  कैसी

कब जाने रुख़्सत हो जाये
दुनिया  से ये  उल्फ़त  कैसी

महका दामन खुशियाँ आयी
मेरे  आने  से  आफ़त  कैसी

मेरे दिल में आओ अब तुम
दोस्ती  में  ये  कीमत कैसी

आँखों  का  ही  कैदी  है तू
दिल में आने की ज़ुर्रत कैसी


तारीख: 04.01.2024                                    आकिब जावेद









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है