घात लगाकर बैठे हैं

घात लगाकर बैठे हैं इश्तेहार देखिए
बनतें हैं लोग  कैसे  शिकार देखिए ।
रोज़मर्रा की ज़िंदगी के जंग पर भी
हावी है किस कदर ये बाज़ार देखिए
बस खोखले सजावट हैं चेहरों पर
कितने बेमानी से हुए त्योहार देखिए।
कहीं पे फाकामस्ती,कहीं मौज़मस्ती
करते हैं इमोशनल अत्याचार देखिए ।
खुदा को क्यों खामखाँ है याद करता
यहाँ  भी हैं कई  खिदमतगार देखिए


तारीख: 07.02.2024                                    अजय प्रसाद









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