सदी का निराला चलन है। नयन में जरा सी जलन है।।
अगर पेड़ पत्ते नहीं हैं, वहाँ पर दुखों का फलन है।
इरादे अगर नेक हैं तो, सही जिंदगी का कलन है।
अगर ठंड ज्यादा पड़ी तो, हिमालय की होती गलन है।
जहाँ भावना है जरूरी, सदा हो रहा क्यों दलन है।
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