तुमने हरदम इस कदर

तुमने हरदम इस कदर बैर पाला हमसे
अंधेरा बनकर छीन लिया उजाला हमसे

रहनुमाई की जगह वो भी मुंह फैर गये
अपनो ने भी बस काम निकाला हमसे

भूखा हमे भी खुदा ने कभी सोने न दिया
आपने तो छीन लिया था निवाला हमसे

तुमने तो दुनियाँ दामन में रख ली अपने
और एक शहर तक ना गया संभाला हमसे

रहने के लिए तो हर मकान था खाली सा
खुला ना सका लेकिन कोई ताला हमसे

जिसे तुमने खुसूसी हमारे लिये भरा था
गिरा जमीं पर छूटकर वही प्याला हमसे
 


तारीख: 08.02.2024                                    मारूफ आलम









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