जमाने ने समझा कि हम बूढ़ापहाड़ पर आये।

एक फिल्मी गीत है कि मुहब्बत में ऐसे कदम डगमगाये कि जमाने ने समझा कि हम पी के आये। ठीक इसी गीत की पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए झारखंड के युवा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का दिल भी जवानी में बूढ़ा पहाड़ पर आ गया। अब तक राज्य में जितने भी बुजुर्ग मुख्यमंत्री हुए उनका दिल कभी बूढ़ा पहाड़ पर नहीं आया था। उन्होंने कभी बूढ़ा पहाड़ पर जाने की हिम्मत नहीं जुटाई। वे जानते थे कि बुढ़ापे में क्या खाक बूढ़ा पहाड़ जाना है। पहाड़ पर चढ़ने-उतरने का काम युवा ही कर सकते हैं। पहाड़ की खूबसूरत वादियों के प्राकृतिक सौदर्य के नजारे का आनंद भी युवा ही उठाते हैं और मोबाइल से सेल्फी भी लेते हैं। इसी को चरितार्थ करते हुए युवा मुख्यमंत्री बूढ़ा पहाड़ पर आ गये। हालाकि मै यह नहीं बता सकता कि बूढ़ा पहाड़ के बूढ़ों ने युवा मुख्यमंत्री का कितना स्वागत किया। हां, उन्होंने यह जरूर महसूस किया होगा कि मुख्यमंत्री बूढ़ा हो चुके पहाड़ पर जरूर आये और उन्हें संदेश दे गये कि बूढ़ा पहाड़ के निवासियों का आशातीत विकास होगा। यहां विकास की नयी रौशनी भी आयेगी।
वैसे हमारे प्रधानमंत्री को पहाड़ पर्वत पर चढ़ने का बहुत शौक है। वे तो वहां जाकर साधना भी कर लेते हैं लेकिन हेमंत सोरेन ने बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचकर किसी प्रकार की साधना नहीं की। युवाओं की तरह उन्होंने मोबाइल से सेल्फी लेकर फेसबुक पर पोस्ट भी नहीं किया कि उन्हें लाइक और कमेंट मिलते।
सबसे बड़ी बात यह है कि मुख्यमंत्री ने बसंत ऋतु के आने पर बूढ़ापहाड़ का दौरा किया। इसी लिए कहा गया है कि बसंत के मौसम में युवाओं का दिल बाग-बाग हो जाता है और वे कुछ भी नया करने को तैयार हो जाते हैं। इसलिए मुख्यमंत्री ने भी बूढ़ा पहाड़ जाकर नया इतिहास रच दिया। इससे पहले तो बूढ़ा पहाड़ पर युवा नक्सली जाते थे या बूढ़े नक्सली आराम फरमाते थे और उन्हें भगाने के लिए झारखंड के जवान जाया करते थे। ऐसे में किसी बूढ़े मुख्यमंत्री के लिए कहा जा सकता है कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है। जाहिर है तब बूढ़ा पहाड़ का आंगन नक्सलियों का हुआ करता था। बूढ़ा पहाड़ में तब बूढ़े नक्सली जवानों को अस्त्र-शस्त्र चलाने का प्रशिक्षण दिया करते थे। वे समझते थे कि बूढ़ा पहाड़ से ही युवा नक्सलियों के माध्यम से नक्सली तंत्र पर शासन किया जा सकता है।
वैसे कहावत भी है कि जलने वाले जला करें जमाना हमारे साथ है। जाहिर है वर्तमान का जमाना भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ है। विपक्षियों का क्या है वे तो चट मंगनी और पट षादी की तरह कुछ भी बयान दे देंगे कि एक युवा मुख्यमंत्री को बूढ़ा पहाड़ नहीं जाना चाहिए था क्यों कि जो पहाड़ जमाने से बूढ़ा हो चुका है वहां युवा मुख्यमंत्री का जाना उचित नहीं है। लेकिन मैं तो हेमंत सोरेन को दाद देता हूं कि उन्होंने युवावस्था में कुछ नही तो बूढ़ा पहाड़ का तो दौरा कर लिया। यह अलग बात है कि राज्य के बूढ़े अधिकारी बूढ़ा पहाड़ का कितना कल्याण कर पायेंगे यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
कल एक विपक्षी दल के नेता से मेरी बूढ़ा पहाड़ पर चर्चा हो रही थी तो उन्होंने मुझसे कहा कि मुख्यमंत्री में ताकत हो तो वे झुमरा पहाड़ी पर झूम कर दिखा दें। मैंने उनसे कहा कि मुख्यमंत्री मांदर की थाप पर नाचना भी जानते हैं। इंतजार करो एक दिन ऐसा भी आयेगा कि वे झुमरा पहाड़ी पर भी झूम कर भी दिखा देंगे। मेरी बातों को सुनकर वह चुप हो गया और कहा इस बार तो मैं भी बूढ़ा पहाड़ कर जाउंगा और उसके सौदर्य को निहार आउंगा।


तारीख: 02.03.2024                                    नवेन्दु उन्मेष









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