संकल्प


रवि हर रोज की तरह आज भी कालोनी के बच्चों को पार्क में खेलता हुआ ,अपनी खिड़की से देख रहा था।वह हमेशा से इन बच्चों के साथ खेलना चाहता था ,उनसे दोस्ती करना चाहता था परंतु वह भगवान के अभिशाप का शिकार था। रवि के दाहिने पैर में बचपन से ही विकार था ,जिससे वह आम बच्चों की जमात में शामिल नही किया जाता था। आज वह काफी अशांत था ,शायद आज वह कई दिनों की ख़ामोशी तोडना चाहता था।आखिर कार उसने अपनी खामोशी तोड़ी और एक बच्चे से उसने कहा -

"भैया मुझे भी लुका-छिपी वाला खेल खेलना है "

"चुप कर लगडे, ठीक से खड़ा होना भी नही आता और तू खेलने चला है, इडियट "-बच्चे ने कहा।

तभी उन्ही बच्चों की टोली से एक और बच्चे ने व्यंग कसा -

"जब तू हमारे लेवल का हो जायेगा तब आकर खेलना "

"तू लंगड़ा है, तू कुछ नही कर सकता है, लंगड़े "

सभी ने उसकी चुटकी ली।"तू लंगड़ा है ,तू कुछ नही कर सकता है ,लंगड़े "- ये बात मानो रवि के मन में घर कर गयी। उसने लज्जा से अपना सिर अन्दर कर लिया। रवि को अपने संकल्प पर पूरा भरोसा है उसे पता है, वह क्या कर सकता है। कुछ दिनों पहले ही जिले स्तर का सामन्य ज्ञान का कॉम्पटीसन था,उसमे रवि सहित कालोनी के भी बच्चे थे। रवि ने बड़े ही उत्साहपूर्वक परीक्षा पूर्ण की थी।

शाम को ही कॉम्पटीसन का परिणाम आ गया ,कालोनी के बच्चे जो शारीरिक रूप से स्वस्थ थे किसी का भी नाम शीर्ष १० में नही था ,मगर दृढ़ संकल्पी रवि ने जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया। कॉम्पटीसन के साक्षात्कार में जब उससे ये पूछा गया कि आपने ये कैसे किया;तो उसने मात्र इतना कहा -"मेरा संकल्प मेरे साथ है "। रवि के इस वाक्य से पूरे सदन में तालियाँ गूंज उठी। रवि ने कालोनी के बच्चों को यह संकल्प लेने पर मजबूर कर दिया था कि वे किसी भी शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति का मजाक नही उड़ायेंगे।

                


तारीख: 10.06.2017                                    महर्षि त्रिपाठी




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