
मॉं केवल शब्द नहीं है,
शब्दों का ताना-बाना है।
जो जन्मी है स्वयं किसी से,
किसी को उसे जनाना है।
मॉं बनकर ही मैंने,
मॉं शब्द को जाना है।
जो पाया है मैंने मांँ से,
नहीं उसका कोई पैमाना है।
कर्ज के बदले फर्ज निभाकर,
मुझे भी इसे चुकाना है।
इतने कर्ज मुझ पर हैं तेरे मांँ,
यह जन्म भी कम पड़ जाना है।
अगर जन्म दूजा हो माँ मेरा,
मुझे भी तेरी मांँ बन आना है।।