हे प्रभु दया कर.. देश में मेरे तु शांति रहने दे..
फिर ना उजड़े कोई घर.. ना किसी घर का चिराग़ बुझे..
अब ना दहले ये स्वर्ग सी धरती.. ना कोई तुफान उठे
तेरे अमन की बहार तु यहाँ बहने दे....
हे प्रभु दया कर.. देश में मेरे तु शांति रहने दे..
फिर ना हो किसी माँ की गोद सुनी...ना किसी के सिर से बाप का साया उठे
अब ना तड़पे किसी की राखी.. ना किसी का सुहाग लुटे
सलामत लौट सके हर फौजी अपने घर..ऐसी रहमत तु सब पर कर दे
हे प्रभु दया कर.. देश में मेरे तु शांति रहने दे..
बारुद का ये खेल कब तक चलेगा.. गाँव का बेटा सरहद पर कब तक मरेगा
मातमों का ये अंधेरा तभी तो हटेगा.. जब इंसा एक दुसरे की कद्र करेगा
सारे मज़हबों को बनकर भाई तु यहाँ रहने दे
हे प्रभु दया कर.. देश में मेरे तु शांति रहने दे..