मिट्टी के घर

 

बारिश किसी की है रोमानी
तो कोई बादल से रूठे रहते हैं
उनको क्यूँ सावन न हो बैरी 
जिनके घर मिट्टी के होते हैं ।

दिल के छाते में अरमान ढ़के
हथेली सर पे रक्खे रहते हैं
नहीं उनकी कोई ख्वाईश करारी
जिनके घर मिट्टी के होते हैं ।

तिनका तिनका घास का जोड़े
पेट गीले सकोरों से रोते हैं
वो आटा सीने से बाँधके रहते
जिनके घर मिट्टी के होते हैं ।

इक टपटपाती छत के नीचे 
कुछ गीले बच्चे सोते हैं 
झमझम में भी सूखा जीवन
जिनके घर मिट्टी के होते हैं ।
 


तारीख: 19.09.2019                                    प्रशान्त बेबाऱ









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