मुट्ठी में आसमान होता था

 

मुट्ठी में आसमान होता था,
अपने पैरों में जहान होता था |

रातों में चाँद निहारा करते थे, 
तारे कंचों से मारा करते थे |

गर्म लू में खेला करते थे ,
सब हंस कर झेला करते थे |

मुस्कान चेहरों पर रहती थी,
आओ खेलें ….
हर चिड़िया चहका करती थी |

 दौड़ दौड़ कर हांफा करते थे,
सर्द में होंठ फड़ फड़ काँपा करते थे |

सायद हम राजदुलारे होते थे,
सबको जान से प्यारे होते थे     
 


तारीख: 18.04.2020                                    विवेक द्विवेदी









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