आज महीनो बाद जब यूँ ही
वो पुराना सूटकेस खोला
तो उसमे पाया
कुछ तस्वीरें, एक ख़त और
बिखरी हुई ढेर साड़ी यादें
वो यादें, जिसे दूरी की आँधियों ने
कई बार उड़ाया
मीलों तक फैलाया
पर हर बार उसे सहजता से हमने
अपने जीवन में सजाया
उन्ही यादों में से एक कण
जब हाथ में उठाया तो देखा
मेरे होठों का वो अंतिम स्पर्श
मेरे हाथों को जकड़े तुम्हारे हाथ
तुम्हारे गालों पर ठहरे आंसू के दो बूँद
पर स्टेशन छोड़ने को वो ट्रेन बेताब
उन्ही यादों से संवारा संसार मांगता हूँ
आज मुट्ठी भर प्रेम तुमसे उधार मांगता हूँ