वो जो बचपन में उड़ाई हमने,
जाने कब कैसे चुराई तुमने,
मै तो सारा आकाश दे दूंगा,
तुम वो मेरी पतंग लौटा दो|
फूल खिलते हैं हवा बहती हैं,
तितलियाँ रंग बुनती रहती हैं,
बरसों बरसों बसंत दे दूंगा,
तुम वो मेरी उमंग लौटा दो|
रूठ जाते थे मान जाते थे,
दूर जा-जा के लौट आते थे,
मेरी सारी ही फुरसतें ले लो,
वो मेरा साथ-संग लौटा दो|