आया सावन घूम के

कुछ लोगों का मानना है कि मौसम विभाग का नाम अब मनोरंजन विभाग रख देना चाहिए क्योंकि यह मौसम के नाम पर जनता से हंसी मजाक ज्यादा कर करने लगा है। समाचार पत्रों में भी इसकी रिपोर्ट हास्य व्यंग्य परिशिष्ट में ही छपनी चाहिए।
       कल अखबार पढ़के ,बाबू रामलाल निकले छतरी लेके, वर्षा की एक बूंद तक नहीं आई। छाता कंधे पर टांगे टांगे पूरा दिन मेल मिलाप करते, दफतरों के काम निपटाते,सब्जी भाजी खरीदते, बहसियाते ,पसीने से लथपथ घर लौट आए।
      अगले दिन खबर छपी - मौसम साफ रहेगा।बाबू रामलाल आदत के मुताबिक फिर टहलने निकल लिए। रास्ते में ही झमाझम बारिश शुरु हो गई। अचानक उन्हें छाते की याद आई। अब छाता भी तब याद आता है जब वर्षा होती है। पता नहीं कहां भूल आए । जब घर पहुंचे तो भीगे कउव्वे से दिख रहे थे।
     शिमला के पुराने लोग आज भी कमीज के कालर पर पीछे की ओर छतरी लटकाए माल रोड पर मिल जाएंगे। न जाने इंद्र देवता कब प्रसन्न हो जाएं! उनका मानना है,नेता की बात का ,शिमला की बरसात का ...कोई भरोसा नहीं। और जब सरकारी विभाग एनाउंस करता है कि नए साल पर बर्फ पड़ेगी तो सैलानी वहां दौड़ लगा देते हैं और दस बारह दिन पैसे लुटा कर अपने अपने घर जैसे ही लौटते हैं तो टी.वी पर स्नोफाल चल रहा होता है।
       मौसम विभाग बार बार कहता है- मानसून चल पड़ा है। दिल्ली फलां तारीख को पहुंचेगा। कुछ साल पहले जब राजधानी के लोग मुंह बाए,आसमान को टिकटिकी लगाए  ताक रहे थे कि आज गर्मी से राहत मिल जाएगी ...अंगना फूल खिलेंगे...बरसेगा सावन झूम झूम के.....तभी अगले दिन मौसम विभाग के प्रवक्ता ने टी.वी पर खिसियाते हुए बताया कि बादल बरेली तक तो आ गए थे परंतु बिहार की तरफ मुड़ गए। गलत भविष्यवाणी का ठीकरा रटे रटाए शब्द वेस्टर्न डिस्टर्बेंस पर फोड़ दिया।
      अब मानसून भी बेचारा क्या करे ? कई बार रास्ते में कुछ राज्यों की सरकारें जो केंद्र सरकार की विरोधी हैं,उसे केरल से दिल्ली के रुट पर हाईजैक कर लेती हैं ताकि सत्तारुढ़ पार्टी बदनाम होती रहे।
      इधर कवियों और फिल्मी शायरों का मूड तभी बनता है जब सावन जम कर बरसता है। मेघदूत से लेकर आजतक कितना साहित्य रचा गया है लेकिन सावन का असली मजा तो फिल्मी गानों में ही आता है।
      अब नए गीत बनाने के लिए कवि भी बेचारा मूड कैसे बनाए ? मानसून की जिद के आगे यही लिखेगा -आया सावन घूम के....। सावन का महीना, अग्निवीर करें सोर....। लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है....हर जगह ट्रेनें जली खड़ी हैं...। आज मौसम बड़ा बेईमान है....सचमुच बेईमान है। आना दिल्ली पहुंचा अंडेमान है।


तारीख: 12.03.2024                                    मदन गुप्ता सपाटू




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