मीडिया और हम

तटस्थ सूचना निष्पक्ष विश्लेषण
समय वो पीछे छूट गया 
दायित्वों से वचनबद्ध था 
चौथा स्तंभ वो टूट गया । 

सनसनी शब्द के मतलब बदले 
खबरों के चैनल की बाढ़ 
विज्ञापन में उलझे दर्शक 
ढूंढ रहे हैं ' समाचार ' । 

मूल्य तिरोहित करता जाता 
समाज का नुमाइंदा है 
ये प्रतिनिधि है धन कुबेर का 
मर्यादा बची ना ज़िंदा है ।

नतीजों की जल्दी है इनको 
मीडिया ट्रायल की होड़ है 
स्वयंभू जज बन करें फैसला 
न्यायपालिका गौड़ है । 

बयानबाज़ी और घोषणाओं के 
झूठ परोसे जाते हैं 
महिमामंडन है बाजारों का 
ग्रामीण उपेक्षित रह जाते हैं । 

प्रतियोगिता को रख पीछे 
पारदर्शिता को अपनाएगी 
तब ही मीडिया होगी प्रबल 
समाज का हित कर पाएगी । 
 


तारीख: 14.02.2024                                    हर्षिता सिंह









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