बड़े नादां है लोग,हर वक्त शिकायत करते हैं,
खुद के गिरेबां मैले, औरों के दाग़ गिनते हैं।
जब चाहत होती खुशियों की, दर्द दे जाते हैं,
दर्द से दोस्ती हो गई तो, खुशी की बात करते हैं।
जब बहुत मिलते हैं, बड़े परेशां होते हैं,
जब नहीं मिलते, मिलने की बात करते हैं।
जब तलक रहती छांव, सफ़र में साथ चलतें है,
झुलसने लगती राहें तो, ठहरने की बात करते हैं।
फूल में मकरंद जब तक, भंवरे मंडराते रहते हैं,
मुरझा जाते हैं फूल तो, उड़ने की बात करते हैं।
अजीब फ़लसफ़ा है लोगों के जीने का,
जब भी पड़ता है काम तो रिश्तों की बात करते हैं।