जीवन दर्शन

कुछ  यूँ  बेखबर  रहो  ,
की  ना  कोई  खबर  रहे  ,
सोचो  ना  इतना ,ना  करो  इंतज़ार  किसीका  ,
बस  चल  पड़ो , यूँ  ही चल  पड़ो ,

क्या  मिले  ,क्या  ना  मिले ,
ना  करो  निर्णय  तुम  इसका  ,
जो  मिले  ,चाहे  जब  मिले ,
बस  शुभ   मिले , करो  विचार  इश्क  ,

यह  जान  लो  ,यह  मान  लो  ,
जीवन  है  मिश्रण  सुख  दुःख  का  ,
क्यों  ना  करे  नवजीवन  दर्शन  इसका  ,
धर्म  है  मेरा केवल  कर्म  करना ,

क्यों  रखु  लेखा  सारे  जन  जन  का
करलो  प्रतिज्ञा  मन में  यह  की ,
ना  खाली  बैठ  यूँ  पछताओगे ,
जो  हो  ,चाहे  जैसे  हो  ,हर  कर्त्तव्य  अब  तुम  निभाओगे

चल  रहे  मन  में  है , यह  द्वन्द क्यों ,
पड़  रहे  पटल  पर  है  यह   अंध  क्यों ,
गर  चाहते  हो  नव  जीवन  को  समृद्ध  बनाना ,
ना  इस  जीवन  को  व्यर्थ  गवाना ,

करोगे  अगर  ऐसा  तो   वापस  आओगे  फिर  इसी   में ,
तो   क्यों  ना  करे  पूर्ण  इसे  इसी  अवधि  में .


तारीख: 05.06.2017                                    हेमलता शर्मा









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