अपनी किस्मत

अपनी किस्मत काँधे धरकर
नियति को करके स्वीकार
भूखे प्यासे गिरते पड़ते
झेलते कोरोना की मार
जिनके लिये सच हुई कहावत
चलना है जीवन का नाम
जिनकी मेहनत सच्चाई भी
अंत समय न आयी काम
करके झूठे झूठे वादे
जिनको दी सरकार ने गोली
ए सड़कों तुमने देखी वो
 पैदल मजदूरों की टोली।

भूख प्यास और सर्दी गर्मी
पहले भी था कोन पूछता
पर उसको घर जाने का ही
था केवल एक राह सूझता
तपती सड़कों से करते थे
बातें उनके नंगे पावँ
कहते थे आएंगे हम फिर
अब जाते हैं अपने गाव।
क्या तुमको है याद अभी भी
बेचारों की सूरत भोली
ए सड़कों तुमने देखी वो
 पैदल मजदूरों की टोली

खूनपसीना बहा बहा कर
जिन्होंने सारे मुल्क को पाला
उनकी किस्मत में ही नही है
अब भोजन का एक निवाला
जब चुनाव का मौसम आता
गाड़ी भर भर सबको लाते
अब सब पैदल ही सड़कों पर
दर दर की ठोकर हैं खाते।
मुम्बई गुजरात  एम० पी०  यू०पी०
यहाँ तक कि दिल्ली महरौली
ए सड़कों तुमने दयेखि वो
 पैदल मजदूरों की टोली


तारीख: 26.02.2024                                    मोहित नेगी मुंतज़िर









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