खुश्बू के जाम

नदिया के घाट पर
मेले की धूमधाम।

लहरें मेले की
ले रहीं बलैंया।
औरतें घूमतीं
शिशु को ले कैंया।।

है चहल-पहल मेले की
देख रही शाम।

खिलौने, झूले, 
जादू का खेल है।
सर्कस में साँप-चूहे
का मेल है।।

छलका रही रात रानी
खुश्बू के जाम।

भालू और बंदर का
नाच चल रहा।
बेकाबू भीड़ का है
रेला बहा।।

है देख रहा मेला ज्यों
देश का अवाम।


तारीख: 05.02.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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