बदल गई हूं

मैं अब पहले की तरह
  खिलखिलाती नहीं हूं !
      मुस्कुराती हूं मन ही मन,
          हंसी होंठों तक लाती नहीं हूं !
मैं अब पहले की तरह प्रेम
    निभाती नहीं हूं !
        चाहती हूं मन ही मन, 
            प्यार बातों से जताती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह
    इठलाती नहीं हूं !
        संवरती हूं मन ही मन,
            अदा चाल में लाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह
    कुछ  मांगती नहीं हूं !
         समझाती हूं मन ही मन,
             ख़्वाहिश ज़ुबां पर लाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह
       झगड़ती नहीं हूं !
            माफी देती हूं  मन ही मन,
               तकरार कर शिकवों की झड़ी
                    लगाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह
     मरती नहीं हूं !
          जीती हूं मन ही मन
              दुनिया की परवाह कर
              आँसू बहाती नहीं हूं!
मैं अब पहले की तरह
     कमज़ोर नहीं हूं
         हौसला रखती हूं मन ही मन
            किसी से भी आस लगाती नहीं हूं!


तारीख: 06.04.2020                                    सुजाता









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