बसों पर बवाल

यहां मजदूरों के,गरीबों के पैरों की चल चल कर
उतर चुकी है खाल,वहां दफ्तरों में थमते नहीं बन रहा 
बसों पर बवाल।।।
हालत मजदूर की कुछ यूं हो रखी है बेहाल
और वहां नेताओ में चल रहा बसों पर बवाल।।
कोई शिकायत नहीं ना कोई गिला है तुमसे इनको
ये तो बेचारे बहुत खुश हैं, जो इतना दर्द तुमसे मिला है इनको।।।
ईमानदारी  से सीखो इनकी, ईमानदार हो जाना जनाब!!
हाल बुरा है किंतु मजबूरी मैं भी शिष्टाचार नहीं भुला है।।
मजदूरी से मजबूरी तक चलता जाता सफर ये बदहाल
वहां दफ्तरों में, दलों में थमते नहीं बनता बसों पर बवाल!!
 


तारीख: 11.04.2024                                    काव्यांशी मिश्रा









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