दोस्त अब मैं विदा लेता हूँ

दोस्त अब मैं विदा लेता हूँ

इस सफ़र में हमारा साथ यहीं तक था 

उम्मीद है तुम्हारी ज़िन्दगी की किताब का

ये आख़री पन्ना हो जिसमें ज़िक्र हो मेरा

हमें मिलकर एक कहानी लिखनी थी

वो कहानी जिसमें ज़िक्र होना था

चिड़िया की चहचहाहट का बादलों 

के गरजने का

ज़िक्र होना था उसमें नयी किताब के 

एहसास का

लिखा जाना था उसमें 

बारिश की टपकती बूँदो की 

आवाज़ के बारे में

उस कहानी में किसी मासूम बच्चे को 

मुस्कुराना था

आवाज़ होनी थी उसमें 

झरने से गिरती नदी की जो 

आगे समंदर तक का रास्ता तय करती

ख़ुशबू होनी थी उसमें 

गरम चाय के उबलने की

मगर अब वो कहानी नहीं लिखी जाएगी

अब बारिश बादल किताब

 चिड़िया नदी चाय कुछ भी तो नहीं

ख़ैर अब विदा लेता हूँ...


तारीख: 08.07.2017                                    राहुल तिवारी









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