जल संरक्षण के मूल मंत्र

अस्तित्व जल का
संभलो, व्यर्थ जल ना जाया करो
संचित कर लो छोटे-छोटे अंजुलीयों में
अस्तित्व ना जल का अवसान करो।
चाँदनी जिस जल के ऊपर खेलती चंचल होकर
सूर्य किरणें स्वर्णिम हो जाती साथ जल में मिलकर
ऐसे जल का तुम भी तो मान करो
संचित कर लो छोटे-छोटे अंजुलीयों में
अस्तित्व ना जल का अंत करो।
पा जल का साथ धरा भी हरित तृण बन खिल जाती
अंबर भी देख अक्स उसमें अपना हो जाता अभिमानी
ऐसे जल का तुम थोड़ा तो मान धरो
संचित कर लो छोटे-छोटे अंजुलीयों में
अस्तित्व ना जल का निरसन करो।
सरिता,निर्मल जल तलाबा, संत ह्रदय गुण का इनमें वास
जीवन प्रहरी हैं हमारे, करो ना इनकी कुटियों का नास
कुरुक्षेत्र बना रखे तपोवन इनके, इंसान कुछ तो शर्म करो
संचित कर लो छोटे-छोटे अंजुलीयों में
अस्तित्व ना जल का लोप करो ।।  


तारीख: 04.02.2024                                    संगीता अग्रवाल









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