कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो मामला लटक जाएगा-ग़ज़ल

कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो मामला लटक जाएगा
बोल दूं तो अच्छा है वरना ये सच मेरे गले में अटक जाएगा

अगर वो इस बार भी पहले की तरह जुल्फ़ों को झटक जाएगा
तो ये तय है फिर कोई शख़्स रास्ते से भटक जाएगा

दिलों से खेलने वाले यूं गफ़लत से न खेल मेरे दिल से
ये पत्थर नहीं शीशा है ज़रा सी ठेस लगी और चटक जाएगा

उसके अहसान का बदला चुकाना ही मुनासिब है नहीं तो
किसी रोज़ वो इस अहसान का बोझ मेरे दर पर पटक जाएगा

वो बेचारा मुहब्बत के गम का मारा है संभालो उसे
अगर यूंही पीता रहा तो वो सारा मयखाना गटक जाएगा


तारीख: 18.04.2024                                    धर्वेन्द्र सिंह









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