क्या रोना बीती बातों पर।
तज बीती बातों की गठरी
कल की पीड़ा अब भी ठहरी,
विगत क्लेश, तम अब भी पूजे
नयन तुम्हारे रहते सूजे।
मत रो बीते आघातों पर
क्या रोना बीती बातों पर।
सोच - सोच मन भर जाएगा
खुशियों से भी डर जाएगा,
सुखमय तेरा आज न होगा
मधुमय जीवन-साज न होगा।
कल की आँधी, बरसातों पर
क्या रोना बीती बातों पर।
आने वाला कल प्यारा हो
पथ में बिखरी उजियारा हो,
दुखदायी पल दफनाना है
खुशियों को दर पर आना है।
अँधियारी, काली रातों पर
क्या रोना बीती बातों पर।